अब राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री हिंदी में ही देंगे भाषण

president prabab mukharjee

नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आधिकारिक भाषाओं को लेकर बनी संसदीय समिति की उस सिफारिश को स्वीकार कर लिया है। जिसमें कहा गया है कि अगर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत मंत्री तथा अधिकारी हिंदी बोल और पढ़ सकते हैं तो उन्हें हिंदी में ही भाषण देना चाहिए।

समिति ने हिंदी को और लोकप्रिय बनाने को लेकर राज्यों और केंद्र से विचार-विमर्श के बाद 6 साल पहले 117 सिफारिशें की थीं। 2011 में इस समिति के अध्यक्ष पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम थे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इसी साल जुलाई में खत्म हो रहा है और अगर इस निर्णय को लागू किया जाता है तो अगले राष्ट्रपति हो सकता है केवल हिंदी में भाषण दें। हालांकि राष्ट्रपति ने इस अधिसूचना को मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय, सभी मंत्रियों और राज्यों को भेजा है।

राष्ट्रपति ने कई अन्य सिफारिशों को भी अपनी मंजूरी दी है। इसमें एयर इंडिया की टिकटों पर हिंदी का उपयोग और एयरलाइंस में यात्रियों के लिए हिंदी समाचार पत्र और पत्रिकाएं उपलब्ध कराना भी शामिल है। हालांकि राष्ट्रपति ने विमानन मंत्रालय से इसे सिर्फ सरकार एयरलाइंस तक सीमित रखने को कहा है।

राष्ट्रपति ने सरकारी भागीदारी वाली निजी कंपनियों में बातचीत के लिए हिंदी को अनिवार्य बनाने तथा निजी कंपनियों के लिए अपने उत्पादों के नाम और संबंधित सूचना को हिंदी में देने की सिफारिश को नामंजूर कर दिया। हालांकि सभी सरकारी और अर्द्धसरकारी संगठनों को अपने उत्पादों की जानकारी हिंदी में देना जरूरी होगा। समिति ने सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालयों में 8वीं से लेकर 10वीं तक हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने की सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति ने सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिए है।

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