आपराधिक बच्चों के पुनर्वास पर SOP का विकास

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Union minister Maneka Gandhi at the Press conference on one Year Modi Govt in new Delhi on Tuesday. Express Photo by Prem Nath Pandey. 02.06.2015.

नई दिल्ली। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने किशोर न्याय प्रणाली के तहत आपराधिक बच्चों के पुनर्वास के लिए एक मानक संचालनकारी प्रक्रिया (एसओपी) का विकास किया है। इउद्देश्य ऐसे बच्चों के लिए संस्थागत देखभाल, देखभाल के बाद की सेवाओं, प्रोत्साहन देखभाल एवं प्रायोजन के प्रकारों को उपलब्ध कराने के द्वारा पुनर्वास एवं सामाजिक पुन:समेकन के प्रयोजन पर जोर देना है।

यह एसओपी आनुमानिक मासूमियत एवं बच्चे के सर्वश्रेष्ठ हित के सिद्धांतों पर आधारित है। एसओपी का उद्देश्य जेल में कैद करने के मामलों में कमी लाना तथा हिंसा, उत्पीडन एवं शोषण से बच्चों की सुरक्षा करना है। एसओपी ऐसे पुनर्वास को बढ़ावा देता है जो दंडात्मक कदमों के बजाये एक सुरक्षित, अधिक उपयुक्त दृष्टिकोण के रूप में परिवारों एवं समुदायों को शामिल करता है।

एसओपी की रूपरेखा शिशु देखभाल संस्थानों, किशोर न्याय बोर्डो/बाल न्यायालयों, बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय एवं बाल आयोग, राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों तथा पुलिस आदि के पदाधिकारियों द्वारा आपराधिक बच्चों के साथ बर्ताव के दौरान हितधारकों के लिए एक उपयुक्त मार्ग निदेशक के रूप में तैयार की गयी है।

मंत्रालय ने बाल अधिकारों के मुद्दों पर विशेषज्ञों एवं अधिवक्ताओं तथा राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग (एनसीपीसीआर) को शामिल करने के द्वारा एसओपी के विकास में एक परामर्शी प्रक्रिया का अनुपालन किया है।

इसे विभिन्न हितधारकों द्वारा टिप्पणियां आमंत्रित करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर भी डाला गया था। एसओपी आपराधिक प्रकृति के बच्चों को समाज में फिर से संघटित करने के लिए संभावनाओं एवं अवसरों को उपलब्ध कराने में सहायता करेगा।

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