पूर्व OSD त्यागी बोले- मेरे पास कोई अघोषित संपत्ति नहीं

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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी तक तीनों प्राधिकरणों में पूर्व ओएसडी रहे यशपाल त्यागी का मामला पहुंच गया है। अक्तूबर २०११ में नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में ८००० करोड़ रु के घोटाले के आरोप की जांच लोकायुक्त से कराने की मांग करने वाले मौलिक भारत संस्था के प्रमुख सेवानिवृत्त कैप्टन विकास गुप्ता ने मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र की प्रति के साथ एक पत्र के जरिये पूरे मामले की जानकारी पहुंचाई है। वहीं, यशपाल त्यागी ने किसी भी तरह की अघोषित संपत्ति से इंकार कर दिया है।
कैप्टन विकास गुप्ता ने अक्तूबर २०११ में तत्कालीन लोकायुक्त उत्तर प्रदेश को पत्र लिखा था, जिसमें यशपाल समेत प्राधिकरण के ४ अधिकारियों पर नोएडा ग्रुप हाउसिंग स्कीम २००९-१० व २०१०-११ में ८००० करोड़ रु घोटाले का आरोप लगाया था। इनमें पूरे तथ्य देते उन्होंने कुछ चयनित निवेशकों को भूमि आवंटन में लाभ पहुंचाने का आरोप शामिल किया था। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि लोकायुक्त में शिकायतें दर्ज करके, उच्च व उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर करके घोटाले उजागर कर चुका हूं।
यादव सिंह घोटाले की सीबीआई जांच इसी वजह से संभव हो सकी है। इससे पहले त्यागी के खिलाफ लोकायुक्त के यहां ग्रुप हाउसिंग घोटाले के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप लगाया कि पिछली बसपा और सपा सरकार में गठजोड़ के चलते सभी जांच दबा दी गई थीं। इस गठजोड़ में यादव सिंह, यशपाल त्यागी, आनंद कुमार आदि और अन्य अफसरों के नाम शामिल रहे हैं।
यशपाल त्यागी ने कहा कि कैश और जेवरात की रिकवरी के बारे में भ्रामक खबरें सामने आ रही हैं। सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। पूरे परिवार के पास कैश की कुल रकम मात्र ३,५३,९०० रु पाई गई जो आयकर विभाग की जांच टीम द्वारा प्रमाणित भी की गई है। धनराशि आयकर विभाग द्वारा सर्च में ही हमें वापस की है। पूरे परिवार से प्राप्त जेवरात का कुल मूल्य २६,५०,५७० रु आंका है। आयकर विभाग द्वारा जेवरात हमें सर्च के दौरान ही वापस कर दिए है। मेरे पास कोई अघोषित संपत्ति नहीं है। मेरा अपने पुत्र के बिजनेस से कभी भी संबंध नहीं रहा है। आयकर विभाग के छापे के दौरान हमारे पूरे परिवार ने पूरे सहयोग के साथ जांच की करवाई है और आगे भी जांच में हमारा पूर्ण सहयोग जारी रहेगा।

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