रेप से ठहरे गर्भ को गिराने के लिए SC पहुंची पीड़िता 

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supreme court
पटना। पटना की रहने वाली एक रेप पीड़िता को अपना २६ सप्ताह का गर्भ गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को फौरी राहत मिली, जब कोर्ट ने उसका मेडिकल परीक्षण कराने तथा ८ मई को दोबारा केस की सुनवाई करने का आदेश दिया। एचआईवी पॉजिटिव रेप पीड़िता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के प्राणों की रक्षा के लिए हमें हरसंभव प्रयास करना चाहिए, और हम उसकी जान के प्रति चिंतित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मेडडिकल परीक्षण शनिवार (६ मई) तक हो जाना चाहिए, और सोमवार (८ मई) को मामले की सुनवाई होगी। पटना के शांति कुटीर की रहने वाली इस महिला को १२ साल पहले उसके पति ने छोड़ दिया था, और बाद में वह बलात्कार की शिकार हुई, और उसे गर्भ ठहर गया।
वह अपने गर्भ को १७ हफ्ते की अवधि में ही खत्म करना चाहती थी, लेकिन पटना के अस्पताल ने उससे बच्चे के पिता का परिचय पत्र मांगा, जो वह नहीं दे पाई। बाद में उसने पटना हाईकोर्ट की शरण ली, लेकिन बड़े ऑपरेशन की संभावना देखते हुए हाईकोर्ट ने अनुमति नहीं दी।
अब इस मामले में पीड़िता की व्यथा को देखते हुए केंद्र सरकार ने उसे दिल्ली लाने तथा दिल्ली में उसके रहने का सारा खर्च उठाने का फैसला किया है। पीड़िता की वकील वृंदा ग्रोवर ने मेडिकल परीक्षण का आदेश देने के लिए कोर्ट का आभार व्यक्त किया, और केंद्र को भी खर्च वहन करने के लिए धन्यवाद दिया।
वकील ने कहा कि पीड़िता बेसहारा है, बलात्कार की शिकार है, और वह गर्भ को तभी गिरा देना चाहती थी, जब वह १७ हफ्ते का था, लेकिन अस्पताल और हाईकोर्ट की वजह से देरी हुई।

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