बेंगलुरु से दिल्ली पहुँचे कांग्रेस के बागी 21 पूर्व MLA,भाजपा में शामिल
नई दिल्ली/भोपाल। बेंगलुरु में 12 दिन से ठहरे कांग्रेस के बागी 21 पूर्व विधायक शनिवार को राजधानी दिल्ली आकर भाजपा में शामिल हो गए है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जानकारी देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के विकास प्रगति और उन्नति के अपने संकल्प के साथ कांग्रेस के सभी 22 पूर्व विधायक जो मेरे परिवार के सदस्य हैं, उन्होंने आज भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेपी नड्डा जी के निवास पर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इसमें बिसाहूलाल साहू ने पहले ही भाजपा की सदस्यता ले ली थी। ये सभी नेता बेंगलुरु से दिल्ली पहुंचे थे। हालांकि सभी 21 नेताओं से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुलाकात की थी। इसके बाद सभी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर पहुंचे। इस दौरान कैलाश विजयवर्गी, नरेंद्र सिंह तोमर और धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे। आज सभी नेताओं की गृहंं मत्री अमित शाह से भी मुलाकात हो सकती है। इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
सभी पूर्व विधायक चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली पहुंचे
इससे पहले ये सभी पूर्व विधायक चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली पहुंचे। इनके आज रात ही भोपाल आने की संभावना है। 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद मध्य प्रदेश में 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी और शुक्रवार को कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
18 सिंधिया समर्थक, 4 कमलनात्स सरकार से थे नाराज
बेंगलुरु में इस्तीफा देने वाले 18 विधायक सिंधिया समर्थक हैं। जबकि 4 ने सरकार से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया था। इनमें ऐदल सिंह कंसाना और बिसाहूलाल दिग्विजय समर्थक माने जाते थे। हरदीप सिंह डंग और मनोज चौधरी किसी गुट के नहीं थे।
कुल 16 विधायक ग्वालियर-चंबल से
इस्तीफा देने वाले 16 विधायक ग्वालियर-चंबल से हैं और इस क्षेत्र में सिंधिया का खासा प्रभाव है। उपचुनाव में सिंधिया के साथ ही यहां केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह चौहान फैक्टर भी काम करेगा। कांग्रेस इस बार सिंधिया के बिना ही इन सीटों पर उपचुनाव में उतरेगी।
बागियों का भविष्य उपचुनाव पर
22 बागियों के इस्तीफे और 2 विधायकों के निधन से प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर अब 6 माह के अंदर उपचुनाव होंगे। यानी अब इन 22 का भविष्य उपचुनाव पर टिक गया है। संभवत: मई-जून में चुनाव आयोग उपचुनाव करा सकता है। इनके नतीजे तय करेंगे कि नई सरकार बहुमत में रहेगी या अस्थिरता के बीच झूलेगी।