देश 70 % लोग लगवाना चाहते हैं कोरोना टीका

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नई दिल्ली। देश में कोरोना से निपटने के लिए टीकाकरण की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में 70.4 फीसदी लोगों ने खुद को टीका लगवाने को कहा तो 29.6 फीसदी ने टीका लगवाने को लेकर अनिच्छा जाहिर की। यह अध्ययन एपिडेमियोलॉजी जर्नल के अगले अंक में प्रकाशित होने जा रहा है।

देशभर में 467 लोगों पर ऑनलाइन सर्वेक्षण करने वाले वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी विभाग के निदेशक प्रोफेसर जुगल किशोर ने कहा कि लोगों से कोरोना टीकाकरण को लेकर कई प्रश्न पूछे गए। 70.4 फीसदी ने कहा कि वे टीका लगवाएंगे, लेकिन 29.6 फीसदी ने कहा कि नहीं लगवाएंगे। ऐसा लगता है कि टीके की सुरक्षा को लेकर लोगों के मन में कुछ सवाल हैं।

उन्होंने कहा कि जब लोगों से टीके की सुरक्षा को लेकर सवाल पूछे गए तो 42 फीसदी ने माना कि यह मनुष्य के लिए सुरक्षित है। 5.4 फीसदी सुरक्षित नहीं मानते हैं, लेकिन 54.7 फीसदी को इस बारे में कुछ पता नहीं। लोगों से यह पूछने पर कि यदि कोरोना टीका प्रभाव साबित होता है तो क्या आप अपने बच्चों को भी लगवाएंगे? 63.2 फीसदी ने हां कहा तथा 6.9 फीसदी ने ना कहा। लेकिन, 30 फीसदी ने कहा, शायद। एक प्रश्न यह पूछा गया कि टीका लगाने के बाद क्या कोरोना से बचाव हो सकेगा?

इसके जवाब में 49.5 फीसदी ने हां कहा, जबकि 11.1 फीसदी ने ना कहा। 39.4 फीसदी ने कहा कि उन्हें इस बारे में पता नहीं। 55.7 फीसदी लोग इंजेक्टेबल तथा 44.3 फीसदी ओरल टीका लगाने के पक्ष में हैं। सर्वे के दौरान 59.3 फीसदी लोगों ने टीके को मुफ्त लगाए जाने की बात कही, जबकि 6.2 फीसदी ने कहा कि मुफ्त नहीं लगना चाहिए। जबकि 34.5 फीसदी ने कहा कि सिर्फ गरीबों को ही टीका मुफ्त लगना चाहिए।

36 फीसदी लोग चाहते हैं कि सभी कोरोना योद्धा एवं अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को सबसे पहले टीका लगना चाहिए। 8.6 फीसदी बूढ़े और बीमारों को पहले टीके लगाने की बात कहते हैं। 50 फीसदी लोगों का कहना था कि बूढ़ों, बीमारों, बच्चों एवं कोरोना योद्धाओं एवं अंग्रिम पंक्ति के कार्मिकों को सबसे पहले टीका लगे।

जो लोग कोरोना से रिकवर हो चुके हैं, उनमें से महज 4.1 फीसदी ही टीका लगाने के इच्छुक दिखे। जबकि 94 फीसदी ने कहा कि यह उन पर लागू नहीं होता। 1.9 फीसदी ने स्पष्ट कहा कि वे टीका नहीं लगाएंगे। अध्ययन में जुगल किशोर के सहयोगी डा. वेंकटेश एवं हिना शामिल थे।