जेल में कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे 75% कैदी

नई दिल्ली। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2015 से देश की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या में 30% से अधिक की वृद्धि हुई है। जबकि कैदियों के दोष सिद्ध होने की संख्या में 15% की कमी आई है। एनसीआरबी के वार्षिक ‘जेल सांख्यिकी भारत 2020’ के अनुसार, 2020 के अंत तक देश की जेल में बंद कैदियों की संख्या 4.83 लाख थी।

जेल में बंद करीब 5 लाख कैदियों में 75% कैदी विचाराधीन हैं। यह जेल में बंद कैदियों की संख्या तीन-चौथाई से अधिक थी, जो कम से कम एक दशक में सबसे अधिक अनुपात था। ऐसे में करीब 3 लाख से अधिक कैदी जज साहब के फैसले आने का इंतजार कर रहे हैं।

  • 2015 से विचाराधीन कैदियों की संख्या में 30% की वृद्धि
    एनसीआरबी के आंकड़ों कि माने तो 2015 से देश की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या में 30% से अधिक की वृद्धि हुई है। जबकि कैदियों के दोष सिद्ध होने की संख्या में 15% की कमी आई है। वही जमानत पर रिहा किए जाने के कारण साल 2020 में 2019 की तुलना में विचाराधीन कैदियों की संख्या में 2.6 लाख की कमी आई है।
  • कैदियों के दोषी साबित होने की दर में कमी
    देशभर के राज्यों में अलग-अलग पैटर्न होने के चलते जेलों में सुनवाई के लिए कई संगठित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं हैं। कैदियों की कुल संख्या में दोषी साबित होने वाले कैदियों की संख्या में कमी आई है। जिससे विचाराधीन कैदियों का अनुपात बढ़ रहा है। ये तथ्य एनसीआरबी की तरफ से दिए गए और इंडिया जस्टिस रिपोर्ट की तरफ से विश्लेषण किए आंकड़ों से सामने आए हैं।
  • पंजाब में सर्वधिक बढ़ोतरी
    विचाराधीन कैदियों के अनुपात में सबसे अधिक वृद्धि पंजाब में हुई। यहां यह 2019 में 66% से बढ़कर 2020 में 85% हो गया। इसके बाद हरियाणा, जहां यह अनुपात 64% से बढ़कर 82% हो गया। मध्य प्रदेश में विचाराधीन कैदियों की संख्या 54% से बढ़कर लगभग 70% हो गई। छत्तीसगढ़ में विचाराधीन कैदियों के अनुपात में 10% से अधिक की वृद्धि देखी गई। मध्य प्रदेश को छोड़कर, अन्य 3 राज्यों में दोषियों की रिहाई के कारण जेल में बंद कुल कैदियों की संख्या में कमी देखी गई। पंजाब के मामले में, 2019 की तुलना में 2020 में विचाराधीन कैदियों की पूर्ण संख्या कम होने के बावजूद अनुपात बढ़ गया। दिल्ली में भी, जहां विचाराधीन कैदियों की संख्या 82% से बढ़कर 91% हो गई। इससे यह राज्य में विचाराधीन कैदियों के सबसे अधिक अनुपात वाला राज्य बन गया।
  • बिहार, यूपी, झारखंड, ओडिशा में बढ़े कैदी
    बिहार में जेल में बंद कैदियों की संख्या में 12,120 की बढ़ोतरी हुई। इनमें से अधिकांश विचाराधीन कैदी हैं। यूपी, झारखंड, ओडिशा और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी यही स्थिति थी। 2019 में, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों का संयुक्त विचाराधीन अनुपात 83.4% था, जो देश में सबसे अधिक था। यह 2020 में बढ़कर 90.5% हो गया। तमिलनाडु में जेल में बंद कैदियों में से सिर्फ 61% ही विचाराधीन कैदी हैं। यह पहले से ही सबसे कम है।
  • तमिलनाडु के बाद तेलंगाना में कमी
    तेलंगाना (64.5%) के साथ केवल 2 राज्यों में से एक था, जिसने विचाराधीन कैदियों के अनुपात और संख्या में कमी देखी। केरल में 2020 में विचाराधीन कैदियों का अनुपात सबसे कम था। यह कुल कैदियों का केवल 59% था। लगभग सभी राज्यों ने कोविड प्रतिबंधों के कारण मेडिकल देखभाल के लिए अदालती यात्राओं के साथ-साथ यात्राओं की संख्या में अहम गिरावट हुई। वही तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में, कैदियों को अदालतों में ले जाए बिना जेलों में बहुत सारी सुनवाई हुई।