साइबर अपराधों के डर से डिजिटलीकरण से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता: जेटली
नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि बैंकिंग तंत्र के विस्तार और इसमें बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ साइबर अपराधों के मामले बढ़ना स्वाभाविक है, लेकिन इसके डर से डिजिटलीकरण से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि बैंकिंग तंत्र का विस्तार बैकों तक सीमित नहीं है बल्कि इसके लिए बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट हैं और नये भुगतान बैंक भी बनाए गए हैं। स्वाभाविक रूप से डिजिटलीकरण का दायरा बढ़ रहा है। इसके साथ छेड़छाड़ का जोखिम भी होगा।
इससे सुरक्षा के लिए बैंकिंग उद्योग के पास अपने विशेषज्ञ हैं। साइबर अपराध बढ़ेंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम डिजिटलीकरण नहीं करेंगे। कांग्रेस के सदस्य शशि थरूर ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ों का हवाला देकर कहा कि वर्ष २०१५ में देश में साइबर अपराध के मामले २१.६ % बढ़े हैं जिनमें अधिकतर बैंकिंग से जुड़े अपराध हैं।
उन्होंने सरकार से इनसे निपटने के लिए किये गये उपायों के बारे में पूछा था। जेटली ने कहा कि ऐसे १८ लाख बैंक खातों की पहचान की गयी है जिनके खाताधारकों की आमदनी और लेन-देन का रिकॉर्ड नोटबंदी के दौरान उनमें जमा करायी गयी राशि से मेल नहीं खाते। ऐसे खाताधारकों को नोटिस भेजे जा रहे हैं और कुछ खाताधारकों के जवाब भी आने शुरू हो गये हैं।
नोटबंदी के दौरान लंबे समय से निष्क्रिय पड़े खातों और जनधन खातों के दुरुपयोग के बारे में कहा कि इस संबंध में विशेषज्ञों की सेवाएँ ली जा रही हैं और आँकड़ों को खँगाला जा रहा है। यदि निष्क्रिय खातों या जनधन खातों का दुरुपयोग हुआ है तो कार्रवाई की जायेगी। सार्वजनिक बैंकों और क्षेीय ग्रामीण बैंकों के २९ प्रतिशत बचत खाते निष्क्रिय पड़े हुये है। ये खाते विभिन्न कारणों से निष्क्रिय हैं।
बीजू जनता दल के भर्तृहरी महताब ने खाताधारकों की निजता एवं गोपनीयता का मुद्दा उठाते हुये कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये के पर्याप्त फायरवॉल मौजूद हैं। सरकार को भी इसमें भूमिका निभानी चाहिये और सिर्पâ वित्तीय संस्थानों के भरोसे इसे नहीं छोड़ा जा सकता। इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि वाणिज्यिक गोपनीयता के लिए पर्याप्त प्रावधान मौजूद हैं।
ऋण चुकाने के मामले में अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड के बावजूद महिलाओं को ज्यादा ब्याज दरों पर दिये जाने के आँकड़े की ओर ध्यान आकृष्ट किये जाने पर कहा कि अब तक महिलाएँ कारोबार के लिए सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों से ऋण लेती रही हैं जिनकी ब्याज दर आम तौर पर ज्यादा होती है। लेकिन, अब मुद्रा योजना शुरू किये जाने से इसका समाधान हो जायेगा।
सभी बैंक शाखाओं को सरकार ने निर्देश दिये हैं कि वे अपने क्षो में एक महिला तथा अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के एक व्यक्ति को उद्यमी के रूप में स्थापित करें। सरकार वित्तीय समावेशन के लिए विभिन्न प्रयास कर रही है जिससे बैंकिंग तंत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गये खातों में ५१.५ % खाते महिलाओं के खुले हैं। एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि बैंकिंग तां में लेन-देन पर शुल्क न्यूनतम रहे और यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा