बंगाल में अब्बास सिद्दीकी और असम में बदरुद्दीन अजमल से गठबंधन करना कांग्रेस की गलती
नई दिल्ली । देश में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में गठबंधन पर बहस तेज हो गई है। पार्टी के अंदर गठबंधन को लेकर नीति बनाने की मांग उठ रही है, ताकि चुनाव के दौरान राज्यों में होने वाले गठबंधन में कोई विरोधाभास न हो। इसके लिए पार्टी के कई नेताओं ने विभिन्न प्रदेशों में गठबंधन पर निर्णय लेने के लिए केंद्रीय समिति बनाने का भी सुझाव दिया है। हार के कारणों पर विचार करने के लिए सोमवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी यह मुद्दा बहुत प्रमुखता से उठा था। सीडब्ल्यूसी के कई सदस्यों ने असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ और पश्चिम बंगाल में पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएफ के साथ गठबंधन पर सवाल उठाए थे। इसके साथ लेफ्ट के साथ गठबंधन पर भी चर्चा हुई थी।
- फायदे को लेकर नहीं बने गठबंधन
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ज्यादातर नेताओं की राय थी कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है। ऐसे में पार्टी की गठबंधन की नीति में एकरूपता होनी चाहिए। तात्कालिक फायदे के साथ पार्टी के सिद्धांतों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने गठबंधन का फैसला करने के लिए एआईसीसी की समिति के गठन का भी सुझाव दिया था। - गठबंधन को ठहराया जिम्मेदार
हार की समीक्षा के लिए गठित वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण की अध्यक्षता वाली समिति असम में मौलाना बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ और पश्चिम बंगाल में आईएसएफ के साथ गठबंधन को भी हार के लिए जिम्मेदार ठहराती है, तो यह मांग और तेज हो सकती है। क्योंकि, कांग्रेस में इन दोनों पार्टियों के साथ गठबंधन करते ही विरोध शुरू हो गया था। पश्चिम बंगाल में आईएसएफ के अलावा लेफ्ट पार्टियों के साथ गठबंधन को लेकर भी पार्टी के कई नेता सवाल उठाते रहे हैं। उनकी दलील है कि इससे केरल में लेफ्ट के खिलाफ पार्टी के हमलों की धार कमजोर हुई। असम और पश्चिम बंगाल में जहां एआईयूडीएफ और आईएसएफ के साथ गठबंधन से भाजपा को ध्रुवीकरण करने का मौका मिला, वहीं केरल में भी पश्चिम बंगाल में लेफ्ट पार्टियों के साथ गठबंधन का पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा है।