हवा के रास्ते फैलता है कोरोना वायरस

coronavirus1

नई दिल्ली । कोरोना की इस दूसरी लहर ने भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई देशों में नए वैरिएंट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। भारत एक बार फिर लॉकडाउन लगाने की कगार पर है। ऐसे में वायरस को लेकर अलग-अलग रिसर्च की जा रही हैं। अभी हाल ही में मेडिकल पत्रिका लांसेट की रिपोर्ट में लिखा गया है कि इस बात के ठोस सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि कोविड-19 में पाए जाने वाला Sars-coV02 वायरस मुख्य रूप से हवा के जरिए फैलता है।

वैज्ञानिकों ने कहा कि सुरक्षा मनदंडों में बदलाव करने की भी जरूरत है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने अपने बात का समर्थन करते हुए कई मजबूत तर्क भी पेश किए हैं और कहा कि इस बात के ठोस सबूत नहीं मिले हैं जो यह साबित कर सकें कि वायरस हवा के जरिए नहीं फैलता है। अध्ययनों ने पहले संकेत दिया है कि कोरोनावायरस हवा के जरिए फैल सकता है, लेकिन यह पहला ऐसा विश्लेषण है जो कहता है कि प्रमुख रूप से इसके हवाई रास्ते के जरिए फैलने की संभावना है। महामारी के शुरुआती दिनों में, यह माना जाता था कि वायरस तब फैलता है जब संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर निकली छोटी बंदें किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती हैं और उसे दूषित कर देती हैं। पिछले साल जुलाई में 32 देशों के लगभग 200 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को लिखा था, इस बात के सबूत हैं कि कोरोनावायरस हवाई है।

कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के जोस-लुइस जिमेनेज ने कहा, “हवाई संक्रमण का समर्थन करने वाले सबूत भारी हैं, और बूंदों के संचरण का समर्थन करने वाले सबूत लगभग गैर-मौजूद हैं अध्ययन के लेखकों में से एक, जिमेनेज ने पीटीआई को बताया, “यह जरूरी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियां संचरण के अपने विवरण को वैज्ञानिक सबूतों के अनुसार ढालें ताकि शमन पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। रिपोर्ट में ह भी बताया गया है कि यह वायरस हवा में पाया औऱ लैब में यह वायरस 3 घंटे तक हवा में बना रहा. कोरोना के मरीज के कमरों, गाड़ियों में इसके सैंपल मिलें।
इसके अलावा SARS-CoV-2 वायरस वाले मरीजों के अस्पतालों के एयर फिल्टर्स और बिल्डिंग में डक्ट्स मिले हैं जो हवा के जरिए ही यहां तक पहुंच सकते हैं। डॉक्टरों ने कहा कि यह वायरस हवा से नहीं फैलता है इसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत भी नहीं है। अगर वैज्ञानिकों के दिए इन सुझावों को स्वीकार कर लिया जाता है तो पूरी दुनिया की कोरोना वायरस से लड़ने की रणनीति पर एक बड़ा असर पड़ेगा।