आरक्षण के बाद भी ट्रेन में नहीं मिली बर्थ, रेलवे को देना होगा 1 लाख रु का जुर्माना

Liquor smuggling gang caught by train in Bhopal, 39 boxes of liquor worth 5.50 lakh seized

नई दिल्ली। रेल में आरामदायक सफर करने के लिए यात्री अग्रिम आरक्षण करा लेते हैं। लेकिन रिजर्वेशन के बाद भी आपको बर्थ न मिले तो क्या होगा। हो सकता है कि आपको पूरी यात्रा खड़े-खड़े करनी पड़े। कुछ ऐसा ही हुआ था बिहार के बुजुर्ग यात्री इंद्रनाथ झा के साथ। करीब 14 साल पुराने इस मामले में रिजर्वेशन के बावजूद उन्हें ट्रेन में बर्थ नहीं दी गई थी और उन्हें बिहार के दरभंगा से दिल्ली की यात्रा खड़े-खड़े करनी पड़ी थी। अब उपभोक्ता आयोग ने रेलवे को हर्जाने के रूप में एक लाख रुपएबुजुर्ग यात्री को देने का आदेश दिया है।

दिल्ली के साउथ डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रेड्रेसल कमीशन ने इंद्र नाथ झा की शिकायत पर ईस्ट सेंट्रल रेलवे के जनरल मैनेजर को यह हर्जाना देने का आदेश दिया है। झा ने फरवरी 2008 में दरभंगा से दिल्ली की यात्रा के लिए टिकट बुक कराई थी लेकिन रिजर्वेशन के बावजूद उन्हें बर्थ नहीं दिया गया। आयोग ने कहा कि लोग आरामदायक यात्रा के लिए एडवांस में ही रिजर्वेशन कराते हैं लेकिन शिकायतकर्ता को इस यात्रा में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

शिकायत के मुताबिक ट्रेन अधिकारियों ने झा की कन्फर्म टिकट किसी और को बेच दी थी। जब उन्होंने इस बारे में टीटीई को पूछा तो उन्हें बताया कि स्लीपर क्लास में उनकी सीट को एसी में अपग्रेड कर दिया गया है। लेकिन जब झा वहां पहुंचे तो ट्रेन अधिकारियों ने उन्हें वह बर्थ भी नहीं दी। इस कारण उन्हें दरभंगा से दिल्ली की यात्रा ट्रेन में खड़े-खड़े करनी पड़ी। रेलवे अधिकारियों ने इस शिकायत का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में उनकी कोई गलती नहीं थी। उनकी दलील थी कि झा ने बोर्डिंग पॉइंट पर ट्रेन नहीं पकड़ी और पांच घंटे बाद किसी और स्टेशन पर ट्रेन पकड़ी। उनका कहना था कि टीटीई को लगा कि उन्होंने ट्रेन नहीं पकड़ी है और नियमों के मुताबिक यह सीट वेटिंग पैसेंजर को दे दी गई।

आयोग ने रेलवे अधिकारियों की इस दलील को नहीं माना। आयोग ने कहा कि स्लीपर क्लास के टीटीई ने एसी के टीटीई को बताया था कि पैसेंजर ने ट्रेन पकड़ ली है और वह बाद में वहां पहुंचेंगे। आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता को रिजर्वेशन के बावजूद कोई बर्थ नहीं दी गई और उन्हें बिना सीट के यात्रा करनी पड़ी। किसी यात्री को अपनी रिजर्व बर्थ पर बैठने का अधिकार है और इसमें किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं है। अगर बर्थ अपग्रेड कर दी गई थी तो उन्हें वह बर्थ मिलनी चाहिए थी।

आयोग ने कहा कि यह रेलवे की लापरवाही का मामला है। झा ने यात्रा से एक महीने पहले ही रिजर्वेशन करा लिया था लेकिन इसके बावजूद उन्हें खड़े-खड़े यात्रा करनी पड़ी। अगर उनका बर्थ अपग्रेड किया गया था तो फिर इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई। आयोग ने कहा कि रेलवे के अधिकारियों ने यात्री का बर्थ देने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जबकि वह इसके हकदार थे। जाहिर है कि यह रेलवे की तरफ से घोर लापरवाही का मामला है।