कृषि कानून से किसानों का भविष्य हो सकता है बर्बाद
नई दिल्ली। सरकार ने इन कानूनों में निजी क्षेत्र को खुले बाजार में अपनी मनमानी कीमतों पर किसानों से फसलों की खरीद की छूट दे दी है। इससे पहले तो किसान ज्यादा कीमत की लालच में खुले बाजार में फसलों को बेचेगा, लेकिन इससे एपीएमसी मंडियों की आवश्यकता नहीं रह जाएगी। धीरे-धीरे इसे बंद कर दिया जाएगा नए कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है।
किसानों का आरोप है कि ये कानून दिखने में तो किसान हितैषी लगते हैं, लेकिन इनके अमल में आने से किसानों का अपनी जमीनों से अधिकार छिन जाएगा। उनकी अब तक की सबसे बड़ी ताकत बना एमएसपी भी केवल कागजों पर बनकर रह जाएगा।
राष्ट्रीय किसान परिषद के अखिल भारतीय महामंत्री सुरेश सिंह का कहना है कि सरकार ने इन कानूनों में निजी क्षेत्र को खुले बाजार में अपनी मनमानी कीमतों पर किसानों से फसलों की खरीद की छूट दे दी है। इससे पहले तो किसान ज्यादा कीमत की लालच में खुले बाजार में फसलों को बेचेगा, लेकिन इससे एपीएमसी मंडियों की आवश्यकता नहीं रह जाएगी। धीरे-धीरे इसे बंद कर दिया जाएगा।
जब किसानों के सामने एपीएमसी मंडियां खत्म हो जाएंगी, तब प्राइवेट कंपनियां अपनी मनचाही कीमतों पर खरीद करेंगी जिससे किसानों को भारी घाटा होगा। इस स्थिति में न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात केवल कागजों पर बनकर रह जाएगी।
एपीएमसी मंडियों के न होने से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा और किसान कंपनियों की कीमत पर फसलों की खरीद के लिए मजबूर होगा। किसान नेता ने कहा कि इसी प्रकार कानून में कांट्रैक्ट फार्मिंग का जो प्रस्ताव किया गया है, उससे किसानों का अपनी जमीनों पर वास्तविक हक खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इन कानूनों को तत्काल वापस लेना चाहिए।