हिमाचल प्रदेश: नालागढ़ की काऊ सैंक्चुरी में भूख से 180 गायों की मौत
नालागढ़। हिमाचल प्रदेश में आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे थे और उन से निजात दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने 3 करोड खर्च करके नालागढ़ के हांडा खुंडी में एक काऊ सैंक्चुरी का निर्माण करवाया था। इस काऊ सैंचुरी में 500 के करीब पशु रखे गए थे और इस पर करीबन 3 करोड रुपए खर्च किए गए थे। यह काऊ सैंक्चुरी पहले ही दिन से विवाद में हैं।
काऊ सैंक्चुरी में बाहर से पशुओं को उठाकर लाया जा रहा है, लेकिन गायों की लगातार काऊ सैंक्चुरी में मौत हो रही है। लोगों का कहना है कि अब तक करीब 180 पशुओं की मौत काऊ सैंक्चुरी में हो चुकी है। लोगों ने इस काऊ सैंक्चुरी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि पशुओं को यहां भरपेट चारा नहीं दिया जा रहा है। उन्हें सूखा चारा ही खिलाया जा रहा है। वह भी बहुत कम मात्रा में। जिसके कारण भूख के चलते पशु लगातार मर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि पशुओं की मौत होने के बाद भी उन्हें उठाकर कहीं दफनाया नहीं जाता है, जिसके कारण अन्य पशुओं में भी बीमारी फैल रही है। लोगों ने सरकार की काऊ सैंक्चुरी प्रबंधन कमेटी पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि जिस हिसाब से पशुओं को चारा और मेडिकल सुविधाएं मिलनी चाहिए उस हिसाब से काऊ सैंक्चुरी में सुविधाएं नहीं दी जा रही है। बाहर से लाए जा रहे पशुओं की एक के बाद एक मौत हो रही है। लेकिन इस पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है।
लोगों ने सरकार व प्रशासन से मांग उठाई है कि काऊ सैंक्चुरी में रखे गए पशुओं की ठीक से देखरेख की जाए। उन्हें भरपेट खाना और मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए ताकि पशुओं की असमय मौत न हो। लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व स्थानीय प्रशासन से मांग उठाते हुए कहा है कि काऊ सैंक्चुरी के नाम पर दिखावे बंद किए जाएं और अगर पशुओं को इस काऊ सैंक्चुरी में इस तरह कैद करके रखना है तो उन्हें खुला छोड़ दिया जाए, ताकि वह बाहर अपनी मर्जी से हरा चारा खाकर गुजारा कर सकें।
गो-सेवा आयोग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक शर्मा का कहना है कि पशुओं की मौत होने का कारण जब पशुओं को बाहर से काऊ सैंक्चुरी में लाया जाता है, तो पशुओं ने बाहर लिफाफे थैले अन्य रसिया खाई होती है, जिसके कारण पशुओं की मौत हुई थी।