2022 तक भारत को हर मायने में आत्मनिर्भर होना चाहिए: नायडू

The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu addressing after releasing the book ‘NETAJI-India’s Independence and British Archives’ along with its Hindi version, in New Delhi on August 12, 2020.

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष के अनसुने नायकों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। नायडू ने कहा कि अपने राष्ट्रीय नायकों को नमन करना स्वाभाविक है लेकिन ऐसे अनेक अनसुने नायकों के योगदान को भी मान्यता देने की जरूरत है जो अपने-अपने क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय थे और जिनकी वीरता के अनगिनत कार्यों से अंग्रेज कांपते थे। उन्होंने कहा कि उन्हें केवल क्षेत्रीय नायक के रूप में नहीं बल्कि ‘राष्ट्रीय नायकों’ के रूप में ही माना जाना चाहिए और उनके साहस और बलिदान के कार्यों से देश भर के प्रत्येक नागरिक को परिचित होना चाहिए। राष्ट्र को इन स्वतंत्रता सेनानियों का आभारी होना चाहिए, जिनके निस्वार्थ प्रयासों का फल हमें एक संप्रभु और जीवंत संसदीय लोकतंत्र के नागरिकों के रूप में प्राप्त हो रहा है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों, विशेष रूप से युवाओं को इन अनसुने नायकों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरुक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने यह सलाह दी कि संबंधित राज्यों को इन नायकों की वीरता और बलिदान की कहानियों को इतिहास के पाठ्य-पुस्तकों में प्रकाशित करना चाहिए और उनकी विरासत को जीवित रखने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। तभी हम उनके साथ न्याय कर पाएंगे और तभी उनके सपनों का भारत- एक सच्चे अर्थों में आत्मनिर्भर भारत श्रेष्ठ भारत और एक सशक्त भारत बना पाएंगे।

नायडू ने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान, भारत ने अपने बुनियादी ढांचे को तेजी से उन्नत किया है और अपने सामाजिक सुरक्षा तंत्र को काफी मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि भारत में अब गांव बिना बिजली के नहीं है और उन्हें खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है। विशेष रूप से कृषि क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में जोरदार सुधारों के माध्यम से अर्थव्यवस्था फिर से संगठित हो गई है। नायडू ने पारदर्शिता बढ़ाने, विवेकाधिकार को कम करने तथा ईमानदार करदाताओं को पुरस्कृत करने के लिए सरकार द्वारा हाल ही में घोषित कराधान सुधारों की सराहना की।

उन्होंने कहा कि हमें दिव्यांगजनों, महिलाओं, बुजुर्गों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों सहित अपनी आबादी के हाशिए पर पड़े लोगों के लिए उपयोगी, पुरस्कृत, समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन को सुरक्षित करना चाहिए।” अंत्योदय और सर्वोदय को हमारी यात्रा के मुख्य सिद्धांतों के रूप में आगे बढ़ना चाहिए और 2022 तक, भारत को हर मायने में आत्मानिर्भर होना चाहिए।