प्रदर्शनकारी किसानों को मवाली बताकर फंसीं मीनाक्षी लेखी

Meenakshi Lekhi trapped by calling the protesting farmers a mawali

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को ‘मवाली’ कहने की अपनी टिप्पणी वापस लेते हुए कहा कि उनके शब्दों का गलत मतलब निकाला गया। उन्होंने लिखा- मेरे शब्दों को तोड़ा मरोड़ा गया है अगर इससे किसी को ठेस पहुंची है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं। नई दिल्ली सीट से सांसद मीनाक्षी लेखी ने ने कहा था कि जो प्रदर्शन कर रहे हैं वे किसान नहीं है मवाली है। लेखी ने 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा का जिक्र करते हुए यह भी कहा है कि प्रदर्शनकारियों का राजनीतिक एजेंडा है।

मीनाक्षी लेखी के इस विवादित बयान को लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया है और कई यूजर्स लेखी के इस्तीफे की मांग करने लगे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने मवाली कहे जाने पर कहा कि किसानों के लिए इस तरह की बात नहीं कहनी चाहिए। हाल में पेगासस जासूसी को लेकर संसद में हुए हंगामे पर बीजेपी की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आईं मीनाक्षी लेखी ने एक सवाल के जवाब में कहा, ”सबसे पहले तो उन्हें किसान कहना बंद कीजिए, क्योंकि वे किसान नहीं है, वे षड्यंत्रकारी लोगों के हत्थे चढ़े हुए कुछ लोग हैं, जो लगातार किसानों के नाम पर ये हरकतें कर रहे हैं।

किसानों के पास समय नहीं है, जंतर-मंतर आकर बैठने का, वह अपने खेत में काम कर रहा है। ये आढ़तियों के द्वारा चढ़ाए गए लोग हैं, जो चाहते नहीं कि किसानों को फायदा मिले।” एक बार फिर जब पत्रकारों की ओर से किसानों को लेकर सवाल किया गया तो मीनाक्षी ने कहा, ”आपने फिर उन्हें किसान कहा, मवाली हैं वे।” इस पर टिकैत ने कहा था, ”मवाली वे हैं, जो कुछ नहीं करते हैं।

किसानों के लिए इस तरह की बात कहना ठीक नहीं है। हम किसान हैं, मवाली नहीं। किसान अन्नदाता हैं।” किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, ”इस तरह का बयान 80 करोड़ किसानों का अपमान है। यदि हम मवाली हैं, मीनाक्षी लेखी को हमारे द्वारा उपजाए अनाज को खाना बंद कर देना चाहिए। उन्हें शर्म आनी चाहिए। हमने उनके बयान की आलोचना करते हुए ‘किसान संसद’ में प्रस्ताव पास किया है।