मां ने 80 साल की उम्र में बेटे को किडनी देकर बचाई जान
नई दिल्ली। कैमरुन की किसान मां ने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए उसे 80 वर्ष की उम्र में किडनी दान दे दी। उनका 52 वर्षीय बेटा जोसेफ लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित था। उसकी जान बचाने के लिए किडनी प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प था। सेक्टर-128 स्थित जेपी अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण के लिए ऑपरेशन हुआ।
इतनी ज्यादा उम्र में किडनी दान करने पर यह मामला इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कर लिया गया है। कैमरुन की 80 वर्षीय महिला मेडेलीन का बेटा जोसेफ लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित था, जिसके कारण उसकी किडनी फेल हो गई थी और उन्हें तत्काल किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत थी। बेटे की परेशानी को देखते हुए मां किडनी दान करने के लिए तैयार हो गईं।
इस उम्र में किडनी प्रत्यारोपण करना भी डॉक्टरों के लिए काफी जटिल था, क्योंकि 65 साल की उम्र के बाद ज्यादातर किडनी सही नहीं रह पाती। जांच के बाद यह पाया गया कि उनकी किडनी अच्छी तरह से काम कर रही थी और किडनी दान करने के लिए वह फिट थीं। हालांकि, उनके पास 2 किडनी की धमनियां (रीनल आर्टरीज) और दो यूरेटर के साथ एक जटिल किडनी की संरचना थी, इस कारण किडनी के सही तरह से काम करने के लिए एक के बजाय दो ट्यूब को जोड़ना पड़ा।
आम तौर पर सामान्य लोगों में एक किडनी की धमनी और यूरेटर होती है। उनकी किडनी में एक छोटी सी पथरी भी पाई गई। इसने प्रक्रिया को और भी जटिल बना दिया था।
जेपी अस्पताल किडनी प्रत्यारोपण विभाग के डॉ. अमित के देवड़ा और डॉ. विजय के सिन्हा ने बताया कि ऑपरेशन के बाद के दर्द को कम करने के लिए डोनर की किडनी लेप्रोस्कोपी द्वारा निकाली गई। किडनी को हटाने के बाद पथरी को हटा दिया गया था।
डॉक्टरों का कहना है कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसे को-मोर्बिडीटी से पीड़ित लोगों की संख्या में वृद्धि होने के कारण क्रोनिक किडनी रोग के मामलों में हाल ही में वृद्धि हुई है। ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की टीम में डॉ अमित के. देवड़ा, डॉ. विजय के सिन्हा, डॉ. एलपी चौधरी, डॉ. रवि सिंह, डॉ. अनुज अरोड़ा और डॉ. खुशबू सिंह आदि शामिल थे।