नए कृषि कानून के विरोध में NDA में टूट, RLD ने छोड़ा साथ
नई दिल्ली। केंद्र सरकार से बातचीत के न्योते की चिट्टी पर किसानों ने शनिवार को फैसला ले लिया। उन्होंने तय किया है कि बातचीत फिर शुरू की जाएगी, लेकिन शर्तें जारी रहेंगी। किसानों ने सरकार से मीटिंग के लिए 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे का वक्त दिया है। लेकिन, कहा है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाएं और मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) की कानूनी गारंटी बातचीत के एजेंडे में होनी चाहिए।
किसान नेता राकेश टिकैत ने यह जानकारी दी। इस बीच राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने कृषि बिलों के विरोध में एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया है। वहीं पंजाब के भाजपा नेता और पूर्व सांसद हरिंदर सिंह खालसा ने किसानों के समर्थन में भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि किसान परेशान हैं, लेकिन सरकार और भाजपा नेता असंवेदनशील बने हुए हैं।
किसान आंदोलन के 31वें दिन संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हमारा प्रस्ताव यह है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए। साथ ही कृषि मंत्रालय के सचिव की ओर से भेजे गए पत्र के जवाब में मोर्चा ने कहा है कि अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की।
सरकार ने इसे तोड़मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी। आप अपनी चिठ्ठी में कहते हैं कि सरकार किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहती है। अगर आप सचमुच ऐसा चाहते हैं तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें।