बुजुर्गों के लिए मजबूत शिकायत निवारण तंत्र की आवश्यकता

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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुजुर्गों के सामने आने वाली कठिनाईयों को हल करने के लिए एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य प्रणाली को भी विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि वरिष्ठ नागरिक ज्ञान और समझ के भंडार होते है और हमें वृद्धावस्था में उनके साथ सम्मान, लगाव, सत्कार और स्नेह से पेश आना चाहिए।

उन्होंने लिखा कि युवाओं समेत सभी का कर्तव्य है कि वो बुजुर्गों की देखभाल करें।  वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धाश्रम का चलन ना केवल समाज में आए बदलाव को दर्शाता है बल्कि यह पारिवारिक मूल्यों में गिरावट को भी दिखाता है।
नायडू ने कहा कि वर्तमान जीवन शैली, पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे सांस्कृतिक मूल्यों, परंपरा को बनाए रखने में संयुक्त परिवार व्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका को नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सदियों पुरानी संयुक्त परिवार व्यवस्था पर फिर से भरोसा कायम करने की जरूरत है। एक संयुक्त परिवार के अंदर सामाजिक सुरक्षा की भावना होती है।
नायडू ने कहा कि बच्चों का अपने दादा-दादी, नाना-नानी के साथ मजबूत भावनात्मक रिश्ता बनाते है और उन्हें अक्सर मुश्किल की घड़ी में कठिनाइयों से उबरने में उनका मार्गदर्शन मिलता है। परिवार के युवाओं से इसके बदले में बुजुर्गों को प्यार और सम्मान मिलता है।

उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से समाज का सामूहिक दृष्टिकोण है, जो सबसे ज्यादा मायने रखता है। लोगों को अपने बच्चों और युवाओं को सही मूल्य देने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बुजुर्ग आरामदायक, खुशहाल और संतुष्ट जीवन जी सकें।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि बुजुर्गों की संख्या सामान्य रूप से जनसंख्या की तुलना में तेजी से बढ़ती जा रही है और 2050 तक भारत की आबादी में बुजुर्गों का हिस्सा 20 प्रतिशत होगा। उन्होंने कहा कि भारत में बहुत सारे बुजुर्ग अकेले रहते हैं या अपनी आर्थिक और भावनात्मक जरूरतों के लिए वे अपने बच्चों पर निर्भर रहते हैं।