म्यू और सी.1.2 जैसे नए वेरिएंट के भारत आने की संभावना नहीं

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नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ही तीसरी लहर को लेकर कई बार सवाल सामने आए। तीसरी लहर को लेकर कई बार यह आशंका व्यक्त की गई कि अक्टूबर और नवंबर का महीना निर्णायक होगा। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर राहत भरी खबर सामने आ रही है। कोरोना की एक और लहर के फिलहाल कोई संकेत नहीं है। पहली और दूसरी लहर के बीच के अंतराल के आधार पर कुछ वायरोलॉजिस्ट और डॉक्टरों ने कहा था कि अक्टूबर-नवंबर में तीसरी लहर आ सकती है।

वायरोलॉजिस्ट और डॉक्टरों का कहना है कि अक्टूबर के मध्य तक जीनोम सिक्वेंसिंग और दूसरे अन्य अध्ययनों से पता चला कि वायरस के म्यूटेशन होने का कोई संकेत नहीं है और न ही कोई नया रूप सामने आया है। हालांकि, सरकार और विशेषज्ञों दोनों ने नागरिकों से अगले साल फरवरी तक कोविड नियमों का पूरी तरह पालन करने का अनुरोध किया है। उस वक्त और अधिक लोगों को कोरोना का टीका लग चुका होगा।

सार्स कोव-2 के जीनोम सिक्वेंसिंग के नोडल अधिकारी डॉ वी रवि का कहना है कि स्टडी से पता चलता है कि कोरोना का संक्रमण डेल्टा वेरिएंट तक ही सीमित है और वे कम हो रहे हैं। उन्होंने कहा अधिक लोगों के टीका लग जा चुका है और वायरस कमजोर हुआ है। इसके म्यूटेशन की भी संभावना कम हुई है।

डॉ वी रवि का कहना है कि दक्षिण अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका तक सीमित म्यू और सी.1.2 जैसे नए वेरिएंट के भारत में आने की संभावना नहीं है। डॉ रवि ने कहा कि यदि कोई नया वेरिएंट आता भी है तो यह डेल्टा और डेल्टा प्लस की तरह घातक नहीं होगा। यही वेरिएंट दूसरे लहर का कारण था।

स्वास्थ्य आयुक्त रणदीप डी का कहना है कि हालांकि, हमें अभी भी सावधान रहने की जरूरत है। कोविड नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए जब तक कि हम 100 फीसदी दूसरी खुराक वैक्सीन कवरेज हासिल नहीं कर लेते हैं। अब तक, कर्नाटक में अनुमानित पांच करोड़ लक्षित आबादी में से लगभग 80 फीसदी को वैक्सीन की पहली खुराक मिल चुकी है और 30 फीसदी पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है (दूसरी खुराक भी)।

यह राष्ट्रीय औसत 70 फीसदी पहली खुराक कवरेज (95 करोड़ लक्षित आबादी) और 30 फीसदी दूसरी खुराक से अधिक है। इस बीच, अगस्त में किए गए एक सीरो सर्वे से पता चलता है कि बेंगलुरु में 80 फीसदी और पूरे कर्नाटक में 65 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी विकसित हुई हैं। प्रख्यात वायरोलॉजिस्ट टी जैकब जॉन ने कहा कि 80 फीसदी से अधिक लोगों में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। तीसरी लहर की संभावना नहीं है।