लोगों को अपनी मातृभाषा बोलने में गर्व अनुभव करना चाहिए : नायडू

The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu addressing after releasing the book ‘NETAJI-India’s Independence and British Archives’ along with its Hindi version, in New Delhi on August 12, 2020.

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने आज भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने और उन्हें बदलते समय के अनुकूल बनाने के लिए अभिनव तरीकों के साथ आगे आने का आह्वान किया। यह देखते हुए कि भाषा एक स्थिर अवधारणा नहीं है, उन्होंने भाषाओं को समृद्ध करने के लिए एक गतिशील और सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भाषा की ‘जीवंत संस्कृति’ को बनाए रखने के लिए एक जन आंदोलन की जरूरत है।

उन्होंने इस बात पर भी अपनी प्रसन्नता व्यक्त की कि सांस्कृतिक और भाषाई पुनर्जागरण को लोगों का अधिक से अधिक समर्थन मिल रहा है। नायडु ने कहा कि दैनिक जीवन में भारतीय भाषाओं के इस्तेमाल में हीनता की भावना नहीं होनी चाहिए। उन्होंने ‘तेलुगु भाषा दिवस’ के अवसर पर वीधि अरुगु और दक्षिण अफ्रीकी तेलुगु समुदाय (एसएटीसी) के एक कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम के जरिए संबोधित करते हुए इस बात को माना कि तेलुगु एक प्राचीन भाषा है जिसका सैकड़ों वर्षों का समृद्ध साहित्यिक इतिहास है और उन्होंने इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए नए सिरे से प्रयास करने का आह्वाहन किया।

श्री नायडू ने तेलुगु लेखक और भाषाविद श्री गिदुगू वेंकट राममूर्ति को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनके जन्मदिन को प्रत्येक साल ‘तेलुगु भाषा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने इस साहित्यिक प्रतिरूप (आइकन) की तेलुगु साहित्य को आम लोगों के लिए समझने योग्य बनाने और एक भाषा आंदोलन का नेतृत्व करने के उनके प्रयासों के लिए सराहना की।

भारतीय भाषाओं के इस्तेमाल को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए कुछ उपायों की सूची बनाते हुए, उपराष्ट्रपति ने प्रशासन में स्थानीय भाषाओं के उपयोग, बच्चों के बीच पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने और शहरों व गांवों में पुस्तकालयों की संस्कृति को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया।

उन्होंने विभिन्न भारतीय भाषाओं के साहित्यिक कार्यों का अनुवाद करने के लिए और अधिक पहल करने का भी आह्वाहन किया। उन्‍होंने इस बात की इच्छा व्यक्त की कि बच्चों को खेल और गतिविधियों के जरिए सरल तरीके से भाषा की बारीकियां सिखाया जाएं। नायडू ने युवाओं को अपनी जड़ों से फिर से जुड़ने के लिए भाषा का इस्तेमाल करने की सलाह दी।