प्राइवेट कंपनियां करेंगी आर्मी बेस वर्कशॉप का संचालन, ये है मोदी सरकार की प्लानिंग
नई दिल्ली। आने वाले दिनों में सेना की बेस वर्कशाप का संचालन निजी कंपनियों को सौंपा जा सकता है। इसके लिए प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। शुरुआत दिल्ली की वर्कशाप से हो सकती है। हालांकि, तब भी वर्कशाप सरकार के नियंत्रण में ही रहेंगी, लेकिन उनका संचालन निजी कंपनियां करेंगी और जरूरत पड़ने पर वह बाहर का कार्य भी ले सकेंगी। माना जा रहा है कि यह कदम खर्च घटाने और बेस वर्कशाप की कार्यकुशलता बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
देश में सेना की आठ बेस वर्कशाप हैं, जो दिल्ली, मेरठ, आगरा, बेंगलुरु, जबलपुर, कनकीनारा (पश्चिम बंगाल), प्रयागराज, किरकी (पुणे) में स्थित हैं। इनमें सेना से जुड़े सभी प्रकार के सैन्य वाहन, उपकरण (टैंक सहित) की सर्विसंग एवं मरम्मत का कार्य किया जाता है। सिर्फ बेंगलुरु बेस वर्कशाप में पुर्जे बनाने का काम होता है। लेकिन अब इन संवेदनशील वर्कशाप को निजी क्षेत्र को सौंपने के लिए डीपीआर तैयार किया जा रहा है जिसके तहत सेना के स्वामित्व में ही निजी क्षेत्र इनका संचालन करेगा।
रक्षा मंत्रालय से संबद्ध संसदीय समिति के समक्ष सेना की तरफ से कहा गया है कि उद्योग जगत से इसके लिए बातचीत प्रगति पर है। डीपीआर तैयार कर लिए गए हैं। योजना यह है कि इन्हें निजी क्षेत्र की मदद से ही आगे चलाया जाए। इन बेस वर्कशाल के पास काफी भूमि भी है, उसका भी और क्या इस्तेमाल हो सकता है, इस पर भी विमर्श चल रहा है। कोशिश यह की जा रही है कि इसका इस्तेमाल भी मरम्मत एवं निर्माण के कार्य के लिए किया जाए।
सेना की तरफ से यह भी बताया गया कि यदि निजी क्षेत्र का संचालन शुरू होने के बाद यदि वर्कशाप के पास क्षमता बचती है तो वह सेना से बाहर का कार्य भी ले सकेंगे। मसलन, किसी वर्कशाप में ट्रक रिपेयर होते हैं तो वह बाहर के ट्रक भी रिपेयर कर सकेंगे। बता दें कि सेना की इन बेस वर्कशाप की दशा और क्षमताओं पर पूर्व में सीएजी की तरफ से भी सवाल उठाए जा चुके हैं। इनमें उपकरणों एवं संसाधनों की भारी कमी की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया था।