आत्मनिर्भर-भारत, आत्मनिर्भर-झाबुआ

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राजेन्द्र श्रीवास्तव | झाबुआ

क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के मुख्य ध्येय को लेकर स्थापित तथा विगत तीस वर्षों से शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में नवीनतम टेक्नालॉजी एवं सुविधाएं स्थापित करने में अग्रणी शारदा समूह द्वारा आधुनिक भारत के युगदृष्टा माननीय नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के धरातलीय क्रियान्वयन को लेकर आगामी 2 अक्टूबर को ‘आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर झाबुआ’ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

समूह के संचालक श्री ओम शर्मा ने बताया की देश में अपनी तरह के इस सर्वप्रथम कार्यक्रम में समूह द्वारा विभिन्न पारंपरिक व्यवसायों, आधुनिक तकनिकीयों का उपयोग किस प्रकार एक विद्यालय द्वारा अपने विद्यार्थियों में उद्यमिता एवं आत्मनिर्भरता के गुण उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है इसका एक विस्तृत रोडमेप प्रस्तुत किया जाएगा। जो आने वाले समय में देश के समस्त विद्यालयों के लिए नवीन दृष्टि प्रदान करने का कार्य करेगा। इस कार्यक्रम में राज्य मंत्री स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) एवं सामान्य प्रशासन, म.प्र. माननीय इंदरसिंह जी परमार, राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास माननीय अतुल जी कोठारी नई दिल्ली, क्षेत्र के लोकप्रिय सांसद माननीय गुमानसिंह जी डामोर तथा कलेक्टर झाबुआ माननीय रोहित सिंह उपस्थित रहेंगे।

श्री शर्मा ने आगे बताया की विस्तृत विचार मंथन के ध्येय से इस कार्यक्रम में युवाओं के स्वरोजगार से जुड़े विभिन्न शासकीय विभागों के प्रतिनिधियों, युवाओं की शिक्षा एवं रोजगार से जुड़े विभिन्न एनजीओ के प्रतिनिधियों, क्षेत्र के प्रतिष्ठित उद्योगपति, सफल व्यवसायीयों को आमंत्रित किया गया है। इस कार्यक्रम की संकल्पना के बारे में बताते हुए उन्होने कहा कि वर्तमान में कोविड-19 के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम को ऑनलाइन (फेसबुक लाइव, युट्यूब) एवं ऑफलाइन दोनो ही मोड में आयोजित किया जा रहा, कोविड-19 की गाइडलाइन के कारण देशभर के शिक्षा संस्थान वर्तमान में बन्द है जिसके फलस्वरुप युवाओं में एक प्रकार की निराशा का भाव व्याप्त है साथ ही भविष्य की अनिश्चितताओं को लेकर भी वे व्यथित है। ऐसे में इस कार्यक्रम के माध्यम से उन्हे स्थानीय परिवेश के अनुरुप विभिन्न क्रियाकलापों से जोड़कर उनमें भविष्य के प्रति उत्साह तथा उर्जा का संचार करना ही लक्ष्य है।

कोविड-19 की विषम परिस्थितियों के चलते यूरोप के कई देशों में भी युवाओ के साथ विभिन्न स्तरीय संस्थाओ ने इसी प्रकार के प्रयोग किए है जिनके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।