शिक्षकों को चाहिए कि वे छात्रों के बीच महान और आध्यात्मिक आदर्शों को आत्मसात करवाएं: नायडू
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज लोगों से उन विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ लड़ने का आह्वाहन किया, जो समाज को धर्म, क्षेत्र, भाषा, जाति, पंथ या रंग के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी आजादी के 75वें वर्ष में प्रत्येक भारतीय को हमारे बहुत अधिक विविध समाज में एकता व सद्भाव को और मजबूत करने का संकल्प लेना चाहिए।अरबिंदो के जीवन पर फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने हैदराबाद के अरबिंदो इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों और शिक्षकों को संबोधित किया।
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के भविष्य की महानता के लिए सभी विभाजनों को समाप्त करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर हर कोई अपने धर्म का सच्ची भावना से पालन करता है, तो कोई धार्मिक टकराव नहीं होगा। नायडू ने कहा कि भारत के आध्यात्मिक ज्ञान की समृद्ध विरासत के संदर्भ में फिर से एक पुनर्जागरण होने की जरूरत है, जिसे वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक बनाने और समकालीन समय को ध्यान में रखते हुए नए रूपों व अभिव्यक्तियों में पुनर्निर्माण की आवश्यकता होगी।
यह बताते हुए कि भारत माता को अपने स्वयं के खजाने में गहराई तक उतरने की जरूरत है, उन्होंने भारतीय युवाओं को अपनी सोच में स्वतंत्र और मौलिक होने का आह्वाहन किया, पश्चिम के मामूली नकलची के रूप में संतुष्ट होने की जगह स्वदेशी स्रोतों का उपयोग करने को कहा। उपराष्ट्रपति ने युवा पीढ़ी के बीच हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत में गर्व की भावना पैदा करने के लिए भारतीय परिप्रेक्ष्य के साथ भारतीय इतिहास को फिर से लिखने का भी आह्वाहन किया।
नायडू ने कहा कि अध्यात्मिकता भारत की महान संस्कृति की प्रमुख कुंजी है, जिसकी महानता को हमारे दैनिक जीवन में पुनर्जीवित कर इसे फिर से खोजे जाने की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जीडीपी वृद्धि और संपत्ति सृजन अपने आप में एक मंजिल नहीं है, बल्कि वे लोगों के जीवन में खुशियां लाने के साधन हैं जो हमारा बुनियादी लक्ष्य होना चाहिए।