जिस कंपनी की वैक्सीन लगावाई बूस्टर भी उसी का लगेगा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस से बचाव के लिए आपने जिस कंपनी की वैक्सीन लगवाई है तो प्रिकॉशन (बूस्टर) डोज भी उसी कंपनी का लगवा सकेंगे, अन्य दूसरी कंपनी का नहीं। सरकार अभी दो अलग-अलग वैक्सीन को मिक्स करने की मंजूरी देने के मूड में नहीं है। सरकार यह फैसला सीएमसी वेल्लोर के अध्ययन के आधार पर कर सकती है। इसका कारण बूस्टर खुराक के लिए टीकों का मिश्रण करने पर परिणामों में एकरूपता नहीं मिली है।
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेल्लोर के अध्ययन की समीक्षा कर रहे एनटीएजीआई के कोविड कार्य समूह ने पिछले सप्ताह कहा था कि वैज्ञानिक सबूत दिखाते हैं कि शुरुआती खुराकें कोवैक्सीन टीके की लेने के बाद बूस्टर खुराक के तौर पर कोविशील्ड का टीका लगवाने से छह से 10 गुना ज्यादा एंटीबॉडी बनती हैं।
कोविशील्ड के दो टीके लगवाने के बाद बूस्टर खुराक के तौर पर कोवैक्सीन का टीका लगवाने पर ऐसा फायदा नहीं दिखा है। सूत्र ने कहा कि कार्यक्रम संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर अब अंतिम सिफारिश के लिए एनटीएजीआई की स्थायी तकनीकी उप-समिति की बैठक में चर्चा की जाएगी।
फिलहाल, देश में कोविड रोधी टीकों के मिश्रण की अनुमति नहीं है जिसका मतलब है कि व्यक्ति को एहतियाती खुराक भी उसी कंपनी के टीके की लगवानी होगी जिसके उसने पहले दो टीके लगवाए हैं। इस बीच चार मई को बायोलॉजिकल ई ने भारत के औषधि नियंत्रक को एक आवेदन देकर अपने कोविड रोधी टीके ‘कोरबेवैक्स’ का उन लोगों पर आपात स्थिति में बूस्टर खुराक के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी है जिनका कोवीशील्ड या कोवैक्सीन से पूर्ण टीकाकरण हो चुका है।
कंपनी के आवेदन के मुताबिक, उसने तीसरे चरण के क्लिनिकल अध्ययन के आधार पर यह अनुमति मांगी है। यह अध्ययन 18 से 80 साल की उम्र के 416 उन लोगों पर किया है जिन्हें कम से कम छह महीने पहले कोवैक्सीन या कोवीशील्ड की दोनों खुराकें लगाई गई हैं और इसके बाद उन्हें ‘कोरबेवैक्स’ की खुराक दी गई है।