देश लाठियां, गोलियां, गोले, आंसू, गिन रहा है और वो दोनों जो चाहते थे वही हो रहा है: कुमार

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kumar vishwas

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ गुरुवार को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना सहित करीब 12 राज्यों में उग्र विरोध-प्रदर्शन हुआ। वामदलों सहित विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित देशव्यापी बंद के बीच लखनऊ में उग्र भीड़ ने दो पुलिस बूथ फूंक दिए और मीडिया वाहन को आग लगा दी।

इस पूरे मामले पर समाज के कई वर्गों के लोग अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं इनमें से ही एक कवि और नेता कुमार विश्वास हैं। उन्होंने कुछ ट्वीट्स के जरिए केंद्र की नीतियों पर परोक्ष रूप से हमला बोला है। कुमार विश्वास ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘देश लाठियां, गोलियां, गोले, आंसू, जख्म, चीखें और नुकसान गिन रहा है पर जिन्होंने ये आग लगाई-भड़काई-फैलाई व पहुंचाई है वे सारे बस सीटें और वोट गिन रहे हैं! जो वो दोनों चाहते थे और चाहते हैं, वही हो रहा है! राजघाट पर कोई खामोश रो रहा है ! भारत को सिर्फ भारत बचा सकता है।’

वहीं कुमार विश्वास ने एक और ट्वीट कुछ दिन पहले किया था, जिसमें लिखा है, शोर के बीच ये मेरी चुप्पी, सुनके मैं खुद ही चौंक जाता हूं! सच तो होता नहीं बर्दाश्त तुम्हें, झूठ मैं बोल नहीं पाता हूं…! विश्वास ने एक और ट्वीट करते हुए समाज के तानेबाने को इस समय जो नुकसान पहुंच रहा है उस पर लिखा है। उन्होंने लिखा, ‘लुटे सियासत की मंडी में और झूठी रुसवाई में, जाने कितना वक्त लगेगा रिश्तों की तुरपाई में…!’

गौरतलब है कि गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में प्रदर्शन के वक्त सीएए के मुद्दे पर यूएन की निगरानी में जनमत संग्रह कराने की बात कही थी, जो कई लोगों को अच्छी नहीं लगी। इसी पर कुमार विश्वास ने भी अपनी नाराजगी जताई थी।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत के आंतरिक मामले में यूएन? राजनीतिक विरोध-विद्वेष सब ठीक है दीदी, जमकर करिए, जोरदार करिए, सब साथ आएंगे, पर देश के आंतरिक मतभेद में विदेशी पंच बुलाने की बात बेहद घटिया और खेदजनक है। यहीं लड़िए..जीतिए..कानून बनाइए, बदलिए। बाकी यूएन या किसी भी विदेशी पंच की ऐसी की तैसी।

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