क्या गुस्सा शांत करने के लिए दी थी दरिंदों को मौत की सजा?

Nirbhaya Parents Asha devi and Badrinath at the Parliament house in new delhi on Tuesday. Express Photo by Prem Nath Pandey. 22.12.2015.

नई दिल्ली। बेटी निर्भया के दरिंदों की लगातार दूसरी बार फांसी टलने से मां आशा देवी का गुस्सा फूट पड़ा। फैसले के बाद पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर उन्होंने पूछा कि क्या उनकी बेटी से हुई दरिंदगी और हत्या के बाद उपजे आक्रोश को शांत करने के लिए मौत की सजा दी गई थी।

बेटी के दोषियों को फांसी पर लटकते देखने की चाह के साथ कोर्ट आई निर्भया की मां कोर्ट के फैसले के बाद रो पड़ीं। उन्होंने कहा कि दोषियों के वकील एपी सिंह ने मुझे चुनौती दी थी कि फांसी अनंतकाल तक टलेगी। सात साल पहले उनकी बेटी के साथ अपराध हुआ था और सरकार बार-बार दोषियों के के सामने उन्हें झुका रही है।

उन्होंने कहा कि वह सरकार से, कोर्ट से, न्याय व्यवस्था से यही कहना चाहती हैं कि इस कानून व्यवस्था की खामी के चलते ही दोषियों का वकील चुनौती दे रहा है कि अनंतकाल तक फांसी नहीं होगी। दोषी जो चाहते थे, वह हो गया और फांसी टल गई।

उन्होंने कहा कि वह हार नहीं मानेंगी और लड़ती रहेंगी। सरकार को दोषियों को फांसी देनी ही होगी नहीं तो पूरे समाज, सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालत को यह स्वीकार करना होगा कि फांसी की सजा सिर्फ गुमराह करने और लोगों के गुस्से को शांत करने के लिए दी गई थी। बोलीं, इससे अपराधियों के हौसले बढ़ेंगे। अगर ऐसा ही होना है तो कानून की किताबों को आग लगा देनी चाहिए।