2023 तक रेलवे का 100 % विद्युतीकरण करने का टारगेट

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नई दिल्ली। अपनी ऊर्जा की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए शत-प्रतिशत (100%) आत्‍मनिर्भर बनने के लक्ष्‍य को हासिल करने और साथ ही राष्ट्रीय सौर ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान देने के लिए, भारतीय रेलवे ने रेलवे और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में प्रमुख हितधारकों के साथ व्यापक बातचीत आयोजित की।

भारतीय रेलवे अपनी कर्षण या खींचने की शक्ति की आवश्यकता को पूरा करने और परिवहन का एक पूर्ण ‘ग्रीन मोड’ बनने के लिए सौर ऊर्जा के उपयोग के लिए प्रतिबद्ध है। डेवलपर्स ने देश में नवीकरणीय ऊर्जा के विकास में अग्रणी भारतीय रेलवे के प्रयासों को स्वीकार किया और 2030 तक भारतीय रेलवे को हरित होने और शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के रास्‍ते पर मजबूती से सहयोग देने की इच्‍छा व्यक्त की।
यह रेलवे स्टेशनों में सौर ऊर्जा का इस्‍तेमाल करने और रेलवे की खाली पड़ी भूमि का नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं के लिए उपयोग करने के प्रधानमंत्री के हालिया निर्देशों की तर्ज पर है। यह सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की एक पहल, राष्ट्रीय सौर मिशन की दिशा में भी योगदान देगा।

बीना में 25 केवी ट्रैक्शन सिस्टम से सीधी कनेक्टिविटी के साथ 1.7 मेगावाट क्षमता की पायलट परियोजना सफलतापूर्वक काम करने लगी है। इसके अलावा, गैर-अनुवीक्षण अनुप्रयोगों के लिए रायबरेली में आधुनिक कोच फैक्टरी (एमसीएफ) में 3 मेगावाट क्षमता का सौर संयंत्र भी चालू किया है। इसके अलावा, राज्य ट्रांसमिशन उपयोगिता (एसटीयू) और केंद्रीय ट्रांसमिशन उपयोगिता (सीटीयू) के साथ कनेक्टिविटी के लिए क्रमश: 2 और परियोजनाएं – 2 मेगावाट की दीवाना में और 50 मेगावाट क्षमता की भिलाई में प्रगति पर हैं।
रेल और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के रेलवे को ‘शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन रेलवे’ में बदलने के मिशन को हासिल करने में तेजी आएगी। इसे प्राप्त करने के लिए, भारतीय रेलवे ने 2030 तक अपनी खाली भूमि का उपयोग करके 20 गीगावाट क्षमता के सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए एक बहुत बड़ी योजना विकसित की है। रेलवे की वर्ष 2023 तक 100 प्रतिशत विद्युतीकरण प्राप्त करने की महत्वाकांक्षी योजना के साथ, भारतीय रेलवे की ऊर्जा की खपत 2030 तक 33 बिलियन यूनिट से अधिक हो जाएगी जबकि वर्तमान वार्षिक आवश्यकता लगभग 21 बिलियन यूनिट है।

  • इस बैठक में चर्चा के प्राथमिक क्षेत्र इस प्रकार थे:
  1. रेलवे ट्रैक के बगल में सौर परियोजनाएं स्‍थापित करने के लिए नवीन समाधान।
  2. भारतीय रेलवे द्वारा 2030 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जक बनने के निर्धारित समय तक 20 गीगावाट अक्षय ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने के लिए संभावित बिजली खरीद क्रम।
  3. भारतीय रेलवे द्वारा बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा परियोजनाएं लगाने में चुनौतियां।