भोपाल में पिता टायर में भरते हैं हवा, बेटा दिल्ली में बना विधायक
भोपाल/नई दिल्ली। पंक्चर रिपेयर करने की यह दुकान अपने निर्धारित समय पर खुलती है। सुबह के 9:30 बजे। 60 साल के पीएन देशमुख ‘हवा’ भरने के लिए मोटर चालू करते हैं, आस-पास को दुकानदारों को दुआ-सलाम करते हैं और अपने पहले ग्राहक का इंतजार करने लगते हैं। सब कुछ पहले जैसा। कुछ भी नहीं बदला है यहां। सिवाय इसके कि उनका सबसे छोटा बेटा प्रवीण दिल्ली में आप विधायक है। दूसरी बार भी जीत हासिल की है।
प्रवीण कुमार (35) जंगपुरा सीट पर दोबारा जीतकर आए हैं। देशमुख को बेटे पर गर्व है। लेकिन सेंट्रल भोपाल में अपनी दुकान तो वैसे ही चलाते रहेंगे, जैसे पिछले 40 सालों से चला रहे हैं। प्रवीण ने बीएससी और एमबीए भोपाल से किया, इसके बाद दिल्ली आकर एक प्राइवेट फर्म में काम किया। प्रवीण के बड़े भाई हैदराबाद के एक फर्म में काम कर रहे हैं।
देशमुख का कहना है कि प्रवीण का झुकाव शुरू से ही सोशल वर्क की ओर रहा। एनसीसी के बेस्ट कैडेट्स में रहे। जिन दिनों नौकरी की तलाश में थे, तब एक दफे सिर्फ इसलिए जॉब ऐप्लिकेशन वापस ले ली कि वह नौकरी दोस्त को मिल सके। बेटे ने मुझे बताया कि उसके दोस्त का परिवार बुरे दौर से गुजर रहा है, उसे नौकरी की जरूरत ज्यादा है। भोपाल में अयोध्या बाईपास के रहनेवाले देशमुख परिवार की टायर शॉप बोग्दा पुल के पास है।
प्रवीण भी यहां काम करते रहे हैं। जब अन्ना हजारे के साथ वह आंदोलन में शामिल हुआ। हमने उसे नहीं रोका, क्योंकि वह भ्रष्टाचार-मुक्त समाज के लिए काम कर रहा था। हालांकि चुनाव लड़ना अलग बात थी।
जब 2013 के दिल्ली चुनावों में उसे आप से टिकट मिली, तब बेटे से पूछा कि चुनाव लड़ने के पैसे कहां से आएंगे/ तब मुझे बताया कि चुनाव पर पैसे नहीं खर्चे जाएंगे। प्रवीण को दूसरी बार जीत मिली तो बेटे को सीख दी, ‘हमेशा उन लोगों की सुनो, जिन्होंने तुमपर भरोसा किया और प्यार लुटाया। उनके लिए काम करना तुम्हारी प्राथमिकता होनी चाहिए।