माँ ने सोचा शायद मर गया बेटा….नीरज ने बताया जिंदा है वों….
झाबुआ l लंबे बाल और बढ़ी हुई दाढ़ी के साथ जब पहली बार मेघनगर के लोगों ने रोशन सिंह को देखा तो जैसा सामान्यता होता है लोगों ने यही कयास लगाए यह कोई मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति है जो अपने घर से निकाल दिया गया है. पिछले 15 दिनों से मेघनगर में प्रमुख चौराहों पर घूमते हुए इस व्यक्ति से बात करने में कई लोग संकोच कर रहे थे. दिनभर मेघनगर में घूमता रोशन सिंह जहाँ खाना मिलता वहाँ खा लेता और रात को जहाँ जगह मिलती वही धरती को अपना बिछोना और आसमान को अपनी चादर मानकर सो जाता. हर रोज सुबह होती और रोशन सिंह मेघनगर केँ चौराहों पर घूमना शुरू कर देता l कोरोना काल के साथ बरसात और अपने सर में पड़े कीड़ो जैसी कई अप्रत्याशित दुविधाओ से जूझता रोशन सिंह किसी से भी बात करने की स्थिति में नहीं था l ऐसे में मध्य प्रदेश केँ मेघनगर के रहने वाले सक्षम संस्था के सह सचिव नीरज श्रीवास्तव जो लगातार पिछले कई समय से मानसिक और शारीरिक दिव्यांगों को उनके घर पहुँचाने का काम बिना किसी झिझक के कर रहे है और अभी तक निस्वार्थ रूप से 8 लोगो को अपने परिवार तक पहुँचा चुके हैँ….कोरोना काल में बाहर से आये व्यक्ति से बात करना तो दूर , लोग एक दूसरे के पास नहीं जा रहे है ऐसे में जिले के सामाजिक कार्यकर्ता नीरज श्रीवास्तव ने रोशन सिंह के सर में पड़े कीड़ों के इलाज के साथ-साथ रोशन सिंह का हेयर कट कर दाड़ी बनाई और उस को नहला कर नए कपड़े पहनाए . नीरज श्रीवास्तव ने इस बात की सूचना सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल की लोगों से अनुरोध किया कि “यदि इस व्यक्ति को कोई जानता हो तो उनसे संपर्क करें मैं रोशन सिंह उसके घर पहुँचाना चाहता हूँ ” लगातार लोग सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को वायरल करने लगे और इस पूरी प्रक्रिया के दौरान नीरज प्रतिदिन रोशन सिंह को खाना खिलाते , इशारों और अलग-अलग भाषाओं में उससे बात करने का प्रयास करते-और उससे बातचीत के वीडियो वायरल करते . सोशल मीडिया पर वायरल हुई पोस्ट के बाद नीरज के कई मित्रों ने जानकारी जुटाना शुरू की. नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि उनके एक मित्र ने जानकारी दी कि रोशन सिंह की आवाज बोलने के तरीके को सुनकर यह लग रहा है कि रोशन सिंह राजस्थान का हो सकता हैँ….अलग अलग जगहो और लोगो से बातचीत कर रहे नीरज नीरज ने हार नहीं मानी और लगातार रोशन सिंह से बातचीत कर यह कोशिश करते रहे की वह अपने घर का पता बता दे . कड़ी मेहनत के बाद रोशन सिंह ने राजस्थान के भीम केसरपुरा और राजसमंद जैसी जगहों के नाम बताए इससे नीरज को यह बात स्पष्ट हो गई यह व्यक्ति राजस्थान का रहने वाला है. कहते है कि जब सच्चे मन से प्रयास किए जाए तो आपकी मेहनत सफल होती है और जब आप नर सेवा नारायण सेवा जैसे संकल्पों केँ साथ काम करते हैं तो ईश्वर आपकी मेहनत के सफल होने के कई मार्ग निकाल देता है.
सोशल मीडिया से मिली मदद
ऐसे में सक्षम संस्था और सोशल मीडिया के माध्यम से राजसमंद जिले के भीम के ही रहने वाले एक मेडिकल स्टोर संचालक दिलीप लोहार ने नीरज से संपर्क हुआ और वे खुद 30 किलोमीटर दूर केशरपुरा यह पता करने पहुँचे की रोशन सिंह यही का रहने वाला है या नही . ऐसे में नीरज से लगातार बातचीत के बाद दिलीप लोहार ने जानकारी दी कि रोशन सिंह राजस्थान के राजसमंद जिले के भीम थाना अंतर्गत आने वाले गाँव केसरपुरा का रहने वाला है l रोशन की माँ लक्ष्मी बाई को जैसे ही वार्ड के पंच ने बताया कि कोई भीम से दिलीप जी आये , वो खबर लाये है कि आपका रोशन मिल गया है ,मध्यप्रदेश में है। बूढ़ी लाचार माँ मे नई ऊर्जा भर आई ,तुरन्त दौड़ बाहर आई और पूछने लगी कहा है कैसा है मेरा रोशन.. दिलीप लुहार ने वंही से नीरज को वीडियो कॉल की और जैसे ही माँ बेटे ने एक दूसरे को देखा ,झर झर अश्रु बहने लगी . नीरज को पूरा विश्वास हो गया कि यही इसके परिजन है ।
रोशन के परिवार की बड़ी ही नाजुक स्थिति है ,घर मे बूढ़ी मा के अलावा एक भाई ओर है जिसका भी मानसिक संतुलन ठीक नही है ,गाँव में एक झोपड़ी मे रहते हैँ…. इतना पता लगते ही की नीरज की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. नीरज ने अपनी गाड़ी में बैठा कर रोशन सिंह उसके घर ले जाने का निर्णय लिया.
माँ को सौप दिया बेटा
बरसात और अन्य सामाजिक परेशानियों के साथ कोरोना काल के दौरान चल रही कठिन प्रशासकीय प्रक्रियाओ से गुजरते हुए नीरज आखिरकार 500 किलोमीटर का सफर करते हुए रोशन सिंह केँ घर पहुँचे और रोशन सिंह की माँ जो पिछले 2 वर्षों से भी अधिक समय से अपने बेटे को ढूँढ़ रही थी और सब जगह से निराश होकर सोच बैठी थी कि उसका बेटा अब इस दुनिया मे नही है से बात की और माँ की आँखो में खुशियाँ भरते हुए नीरज ने एक माँ को उसका बेटा सौप दिया.
नीरज ने इस दौरान लोकल प्रशासन और पुलिस प्रशासन के साथ पूरी प्रशासकीय प्रक्रियाओं को पूरा भी किया….