अजय कुमार ने फिर उठाई स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने की मांग
वरिष्ठ समाजसेवी अजय कुमार ने एक बार फिर स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने की मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद की है। उन्होंने कहा है कि कोरोना काल में उभरी परिस्थितियों ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाना ही चाहिए। इसके लिए उन्होंने 15 वें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया है कि वह आगामी 9 नवंबर को सरकार को दी जाने वाली 15 वें वित्त आयोग की अपनी रिपोर्ट में इस मसले को शामिल करें।
अजय कुमार ने वित्त आयोग के चेयरमैन एन.के. सिंह से कहा है कि पूरे देश के लिए कोरोना ने एक संकट की स्थिति पैदा कर दी है। यह एक ऐसा समय है जिसमें स्वास्थ्य सुविधाओं की सख्त दरकार है. केंद्र व राज्य सरकारों के लिए भी एक चुनौती भरा समय रहा है। ऐसे में वित्त आयोग की भूमिका बहुत अहम है और आपकी अगुवाई में 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट बहुत ही उपयोगी साबित होगी।अजय कुमार ने कहा है कि हाल ही में 15वें वित्त आयोग की ओर से गठित एक कमेटी ने भी स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिए जाने का सुझाव दिया है। कमेटी ने यह भी कहा है कि स्वास्थ्य को अभी तक राज्य सूची में रखा गया है, जिसे समवर्ती सूची में लाना चाहिए, जिससे राज्य और केंद्र दोनों इसको लेकर नीति बना सकें। साथ ही यह भी सुझाव दिया गया है कि 15 अगस्त 2022 को सरकार स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा देने की घोषणा कर सकती है।अजय कुमार ने आगे कहा है कि ऐसी चर्चा है कि आयेाग की रिपोर्ट में स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी जिक्र है, जो होना भी चाहिए, क्योंकि अगर संविधान जीवन के अधिकार की गारंटी देता है तो स्वास्थ्य का अधिकार भी उसी का पर्याय है।
अजय कुमार ने स्वास्थ्य की महत्ता बताते हुए कहा है कि जैसा कि हम सब जानते हैं कि ‘एक स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मस्तिष्क वास करता है’। यही कारण है कि वर्ष 2017 में केंद्र की संवेदनशील सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दे दिया। अब समय आ गया है जब देश में स्वास्थ्य को भी मौलिक अधिकार का दर्जा दिया जाना चाहिए, जिससे देश की आम जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हों सकें। केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से उनके इस अधिकार का संरक्षण किया जा सके।अजय कुमार ने अपने पत्र में चेयरमैन एनके सिंह को बताया कि स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने की इस मुहिम में लगभग 100 से अधिक सांसदों ने पत्र लिखकर उनका समर्थन किया है। वह काफी समय से स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिलाने को लेकर प्रयासरत हैं।
अजय कुमार ने अनुरोध किया है कि 15 वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में भी अगर स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिए जाने संबंधी सुझाव को शामिल कर लिया जाए तो देश के आम जनमानस के लिए उठ रही इस मांग को और बल मिलेगा तथा आने वाले समय में स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा मिल सकेगा।गौरतलब है कि समाजसेवी अजय कुमार पिछले डेढ़ दशक से स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिलाने को लेकर सक्रिय है. उन्हें देश भर से तमाम जनप्रतिनिधियों व अन्य लोगों का समर्थन भी मिला है। इसके अलावा वह समय समय पर आम जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर भी अपनी आवाज बुलंद करते रहते हैं। कोरोना काल में भी उन्होंने बिहार में कोरोना मरीजों के लिए केंद्र सरकार से 1000 बेड का अस्थाई अस्पताल बनाने की थी, जिसके बाद केंद्र की ओर से बिहार में 500-500 बेड के दो अस्थाई अस्पताल बनाए गए थे।