ताजमहल के 22 कमरों को स्थायी रूप से बंद करने का दावा गलत: एएसआई

इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा ताजमहल के अंदर बने कमरों को खुलवाने की याचिका को खारिज कर दिया गया। इस बीच रिपोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि याचिकाकर्ता के दोनों दावे गलत हैं। क्योंकि इतने वर्षों के जुटाए गए तथ्यों से कभी यह इशारा नहीं मिला कि ताज के नीचे मूर्ति हो सकती है। बता दें कि बीते गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई के बाद ताजमहल के 22 कमरों को खुलवाने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई थी।

दरअसल, याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि बंद कमरों को खोला जाए और बेसमेंट में बने वॉल जो बंद हैं, उनकी स्टडी करने की इजाजत दी जाए। इन दावों को रिपोर्ट में एएसआई के अधिकारियों ने गलत बताया है। एएसआई के अधिकारियों ने बताया कि ताजमहल के अंदर मौजूद कमरों को आधिकारिक तौर पर सेल कहा जाता है और वहां कभी स्थायी रूप से बंद नहीं रहे हैं। हाल ही में संरक्षण कार्य के लिए खोले गए थे। साथ ही बताया कि अब तक के जांच में ऐसा कोई भी तथ्य नहीं मिला, जिससे यह कहा जा सके कि यहां पहले कोई मूर्ति थी।

रिपोर्ट में 3 महीने पहले किए गए जीर्णोद्धार कार्य के बारे में भी बताया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि, अब तक समीक्षा किए गए अलग-अलग रिकॉर्ड और रिपोर्टों में किसी भी मूर्ति के अस्तित्व नहीं मिले। ताजमहल के अंदर तक पहुंचने वाले लोगों के मुताबिक मकबरे परिसर के अलग-अलग हिस्सों में कुल 100 से अधिक कमरे हैं। ये सभी कमरे सुरक्षा के लिहाज से बंद किए गए हैं।

तहखाने के अंदर तक गए लोगों में से किसी ने भी ऐसा कोई दावा नहीं किया है, जैसा की कथित तौर पर याचिका में कहा गया था। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि याचिकाकर्ता का 22 कमरों को स्थायी रूप से बंद करने का दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है। क्योंकि संरक्षण कार्य जिसके तहत दरारें भरना, फिर से प्लास्टर करने जैसे काम समय-समय पर किए जाते हैं। हाल में किये गए संरक्षण कार्य में 6 लाख रुपये का खर्चा आया है।