मायानगरी में अब गुमनाम नहीं है, ‘गुमनाम है कोई’ का लेखक, ठोकरें खाकर बनाया नाम

लाइट, कैमरा, एक्‍शन की दुनिया का नाम है मायानगरी. न जानें कितने लोग यहां सपने लिए आते हैं और न जाने कब यहां से चले जाते हैं. कुछ को कुछ ही लोग जानते हैं, कुछ को पूरी कायनात जान जाती है, तो वहीं कुछ गुमानाम रह जाते हैं और उसी को बताने के लिए लेखक की जब कलम उठती है तो ‘गुमनाम है कोई’ जैसी कहानियां जन्‍म लेती हैं और ऐसी कहानियां लिखने व उसको निर्देशित करने वाला मायानगरी में गुमनाम नहीं रह जाता है. ऐसा की कुछ कर दिखाया है

भारत पांडेय ने.गुमनाम है कोई चर्चा में उत्‍तर प्रदेश के सुल्‍तानपुर जिले के एक छोटे से गांव से निकले भारत पांडेय कभी मायानगरी में गुमनाम थे, लेकिन भारत ने लगातार कई वर्षों तक संघर्ष किया ठोकरें खाईं और अब अपनी पहचान बनाई गाँव से निकल कर माया नगरी मुंबई पहुंचे भारत की हाल ही में एक ऑडियो सीरीज “गुमनाम है कोई” काफी चर्चा में है. जब पूरी दुनिया वीडियो की तरफ भाग रही है ऐसे में ऑडियो सीरीज के माध्‍यम से किसी कहानी को लोगों तक पहुंचाना आसान नहीं था.

भारत बताते हैं वीडियो में शब्‍द से अधिक दृश्य कह देते हैं, लेकिन यहां अलग तरह की चुनौती थी. “गुमनाम है कोई” की सीरीज एफएम पर महासीरीज के रूप पर प्रसारित हो रही है, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं. किसी कहानी को एक सीरीज के रूप में सुनना श्रोताओं के लिए भी काफी रोमांचकारी है. “सावधान इंडिया” में भी किया काम इससे पहले भी भारत पाण्डेय “स्त्री शक्ति” , “सावधान इंडिया”, “क्राइम अलर्ट” , “भक्ति में शक्ति”, “सीआईएफ़” , “फरार” , जैसे कई और बड़े टीवी शो में भी काम कर चुके हैं. अभी इस समय भारत पाण्डेय की दो फ़ीचर फिल्में बनकर तैयार हैं.इलाहाबाद से की है पढ़ाई भारत पांडेय का इलाहाबाद से गहरा नाता है. उन्‍होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जर्नलिज़्म एंड मास कम्युनिकेशन में एमए किया और उसके बाद अपने सपनों को सच करने के लिए मुंबई का रुख कर लिया.

सुल्तानपुर जैसे छोटे से ज़िले से निकलकर मुंबई की तरफ जाना और फिल्म इंडस्ट्री में काम करने यह अपने आप में एक हिम्मत का काम था. जहां पर हर मां बाप अपने बच्चे को डॉक्टर, इंजीनियर या फिर सरकारी नौकरी में भेजना चाहता है, वहीं भारत पाण्डेय के माँ बाप ने उनको अपने सपनों के पीछे भागने के लिए सिर्फ हौंसला ही नहीं दिया बल्कि हर कदम पर साथ भी दिया.