भट्टा पारसौल के 65 किसानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट
नोएडा। जिला न्यायालय ने भट्टा पारसौल कांड से जुड़े तीन गांवों के ६५ किसानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। सीबीसीआईडी ने गांवों के घरों पर इसके नोटिस चस्पा कर दिए हैं। इससे गांवों में खलबली मची हुई है। सीबीसीआईडी ने कहा है अदालत में हाजिर हों, नहीं तो कुर्की की जाएगी।
किसान नेता किरनपाल सिंह का कहना है कि सीबीसीआईडी के अधिकारी भट्टा, पारसौल और आछेपुर गांवों में आए थे। भट्टा गांव के किसानों रोदास पुत्र रामफल, जयेंद्र पुत्र महावीर, चंद्रभान पुत्र ओम प्रकाश, पारसौल गांव के सतीश पुत्र सुखपाल, राजू पुत्र मानपाल सिंह, उमेश पुत्र धर्मपाल सिंह, गज्जू पुत्र नरपत सिंह, चंद्रभान पुत्र हुकुम सिंह, संजू पुत्र महिपाल सिंह, पंकज पुत्र साहिब सिंह और राकेश समेत करीब ६५ किसानों के घरों पर नोटिस चस्पा किए हैं।
नोटिस में लिखा है कि आने वाली २४ अप्रैल को ग्रेटर नोएडा जिला न्यायालय में मुकदमे की सुनवाई होगी। उस दिन न्यायालय में हाजिर हों नहीं तो संपत्ति कुर्क कर ली जाएगी। नोटिस चस्पा होने के बाद से पूरे गांव में खलबली मची है। किसान परेशान हैं और अपने घरों में नहीं हैं। किसानों को डर है कि पुलिस और सीबीसीआईडी उनकी गिरफ्तारी कर सकती है।
पारसौल गांव के किसान और आरोपी नीरज मलिक का कहना है कि अखिलेश यादव ने २००७ के विधानसभा चुनाव में आश्वासन दिया था कि वह मुख्यमंत्री बने तो मुकदमे वापस करेंगे। यूपी में सपा की सरकार बनी और पूरे पांच वर्ष तक हम लोग अखिलेश यादव, शिवपाल यादव, मुलायम सिंह यादव समेत सारे नेताओं के पास धक्के खाते रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हालांकि, किसानों को उम्मीद है कि प्रदेश में बनी भाजपा की नई सरकार जरूर राहत देगी।
भट्टा समेत आसपास के गांवों के किसान भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। करीब चार महीने लंबा आंदोलन ७ मई २०११ को हिंसक हो गया था। इसमें दो किसानों, दो पुलिस कमिNयों की गोलीबारी में मौत हो गई थी। तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल को गोली लगी थी। दीपक अग्रवाल अभी ग्रेटर नोएडा और नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भट्टा पारसौल पहुंचे थे। उनकी गिरफ्तारी हुई थी। मायावती को करारी हार का सामना करना पड़ा था। २०० वर्ष पुराने भूमि अधिग्रहण कानून को इसी कांड के बाद बदला था।