योगी सरकार निजी-सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान से जुड़ा लायी अध्यादेश

Protestors throw brick-bats during clashes between a group of anti-CAA protestors and supporters of the new citizenship act, at Chand Bagh in Bhajanpura, in north-east Delhi, Monday, Feb. 24, 2020

लखनऊ। लखनऊ में दंगों के आरोपियों के होर्डिंग लगवाकर विवादों में घिरी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जुलूसों, विरोध प्रदर्शन कार्यक्रमों आदि में निजी तथा सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश रिकवरी आफ डैमेज टू पब्लिक एण्ड प्राइवेट प्रापर्टी अध्यादेश-2020 लेकर आयी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में लिये गये इस निर्णय के बारे में वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि मंत्रिमण्डल ने उत्तर प्रदेश रिकवरी आफ डैमेज टू पब्लिक एण्ड प्राइवेट प्रापर्टी अध्यादेश-2020 पारित किया है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने रिट याचिका क्रिमिनल संख्या 77-2007 संलग्न रिट याचिका क्रिमिनल संख्या 73-2007 में विशेष रूप से देश में राजनीतिक जुलूसों, अवैध प्रदर्शन, हड़ताल तथा बंद के दौरान उपद्रवियों द्वारा पहुंचाये गये नुकसान की भरपाई के लिये दावा अधिकरण की स्थापना के निर्देश जारी किये थे। उसी सम्बन्ध में आज यह अध्यादेश मंत्रिपरिषद ने सर्वसम्मति से पारित किया है।
मंत्री खन्ना ने अध्यादेश के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया। इतना कहा कि जल्द ही नियमावली बनेगी जिसमें सारी चीजों को स्पष्ट किया जाएगा। इस सवाल पर कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लखनऊ में लगे कथित उपद्रवियों की तस्वीर वाले पोस्टर 16 मार्च तक हटाने के आदेश दिये हैं, ऐसे में क्या यह नियमावली उससे पहले बन जाएगी, खन्ना ने कहा कि नियमावली 16 तक कैसे आ सकती है। वह भी कैबिनेट से पास होती है।
विदित हो कि लखनऊ जिला प्रशासन ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ पिछले साल 19 दिसम्बर को राजधानी में उग्र प्रदर्शन के मामले में आरोपी 57 लोगों की तस्वीर और निजी जानकारी वाले होर्डिंग जगह-जगह लगवाये हैं। उनमें से कई को सुबूतों के अभाव में जमानत मिल चुकी है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इसका स्वतरू संज्ञान लेते हुए इसे निजता का हनन करार देते हुए सरकार को 16 मार्च तक वे होर्डिंग हटाने के आदेश दिये थे। राज्य सरकार ने इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। न्यायालय ने भी सरकार से पूछा है कि आखिर किस कानून के तहत उसने वे होर्डिंग लगवाये हैं। मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी।