अफगानिस्तान में 98% लोग भुखमरी के कगार पर

काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान शासकों के सत्ता पर काबिज होने के बाद बिगड़ते हालात के चलते बढ़ती महंगाई और तेल की आसमान छूती कीमतों से लोग परेशान हैं। आलम यह है कि नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं को पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। राजधानी काबुल में स्थानीय मीडिया के अनुसार, तेल के बढ़ते दामों की वजह से बेरोजगारी की दर में जबरदस्त वृद्धि हुई है।

सर्दी से बेहाल अफगानिस्तान के लोगों का कहना है कि तेल की महंगी कीमतों की वजह से वे अपने घरों में ताप और अलाव नहीं जला पा रहे हैं और कड़ाके की ठंड में जीने को मजबूर हैं। एक स्थानीय नागरिक का कहना है कि बेरोजगारी की दर बढ़ने से, तेल की कीमतों में वृद्धि होने और खाद्य पदार्थों की बढ़ते दामों से उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं, डॉलर के मुकाबले अफगानिस्तान की मुद्रा में भी बड़ी गिरावट आई है। कोयला बेचने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि, फिलहाल 560 किलो कोयले की कीमत 6 हजार अफगानी रुपए है। काबुल के अंदरुनी इलाके में रहने वाली कोको गुल नाम की महिला ने कहा कि, बढ़ती महंगाई के कारण वह लकड़ी खरीदने में भी असमर्थ है।

कोको गुल ने कहा कि, मेरे पास पैसे नहीं थे इसलिए लकड़ी या हीटर नहीं खरीद सकी। मैंने कुछ प्लास्टिक और कूड़ा इकट्ठा किया है लेकिन यह ठंड से बचने के लिए पर्याप्त नहीं है। काबुल के रहने वाले सैयद हबीबुल्लाह ने कहा कि, देश में रोजगार के अवसर कब मिलेंगे, हमें दान या मदद नहीं चाहिए। अगर कोई काम होगा तो मैं इसे करने के लिए तैयार रहूंगा।

वहीं काबुल के रहने वाले एक अन्य शख्स ने कहा कि देश में महंगाई अपने चरम पर है, मैंने पिछले 5 सालों से कोई काम नहीं किया है, मैं जॉब की तलाश में हूं। अफगानिस्तान में महंगाई का यह आलम उस वक्त है जब यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा कि अफगानिस्तान में 98 फीसदी लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है।